लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ
28- रानी खरीदी हुई वस्तुएं ले पहुंची अस्पताल-
तैयार होने में लगी हुई थी,और दीपक के आने का इंतजार भी कर रही थी। इधर चाय तैयार हो चुकी थी, इतने में दरवाजे की घंटी बजी। रानी ने फटाफट दरवाजा खोला। सामने दीपक खड़ा था, रानी ने दीपक को अंदर आने को कहा- दीपक अंदर आया, और फ्रेश हुआ। फिर जल्दी से तैयार हुआ और दोनों ने चाय की चुस्कियां लीं। चाय खत्म होते ही दोनों श्रेया की बेटी के लिए लाए हुए सामान को लेकर घर से अस्पताल के लिए निकले। समान गाड़ी में रखकर रानी कितनी खुश हो रही थी। उसकी खुशी को शब्दों में बयां कर पाना थोड़ा कठिन है, क्योंकि वह श्रेया की बेटी से मिलने जा रही थी। उसके मन में अनेकों सपने उथल पुथल कर रहे थे।
रानी बैठी सोच रही थी कि वह जाकर उसको खिलाएगी और उसको यह उपहार स्वरूप सामान भी देगी। जबकि वह बच्ची तो कुछ भी नहीं समझती है। न जानती थी कि उसके लिए कोई कितना क्या कर सकता है, कितना उपहार लेकर आया है, उसे तो कुछ भी नहीं पता लेकिन यह तो रानी के मन की भावना है, जो वह अपना प्यार उपहार के रूप में प्रदर्शित करना चाहती है। रानी ये सब सोच ही रही थी। कि इतने में गाड़ी अस्पताल के गेट पर पहुंच गई। रानी और दीपक गाड़ी से उतरे। उन्होंने सारा सामान कार से निकाला। और अस्पताल के अंदर ले गये। वह सामान लेकर सीधे श्रवन और श्रेया के कमरे में ही गए। अभी श्रेया पहले से काफी ठीक लग रही थी, और इस समय जग भी रही थी। पहले रानी और दीपक ने श्रेया से हालचाल पूछा...... कैसी हो श्रेया.....और...अब कैसा लग रहा है...... श्रेया ने कहा ठीक हूं,आइए .......आपका स्वागत है।
श्रवन ने दीपक और रानी को बैठने के लिए कहा- रानी तो दौड़ते हुए श्रवन की बेटी के पास पहुंच गई, जो श्रेया के पास लेटी हुई थी। दीपक ने सभी उपहार श्रवन को पकड़ाते हुए कहा- कि यह सब नन्ही परी के लिए हैं। श्रवन ने कहा इसकी क्या जरूरत थी। यह आप लोग क्यों लेकर आए हैं।अभी वह इसके लायक नहीं है। रानी ने कहा मेरा मन किया तो मैं ले आई रख लीजिए, इसी बहाने में नन्ही परी से मिलने आ सकी हूं। श्रवन ने कहा-आप चाहे जब आ सकते हैं उसको खिलाने के लिए परन्तु आपको यह सब लाने की जरूरत नहीं है। रानी श्रवन की बेटी को खिला रही थी।........दीपक बोला मैं पापा जी से मिल कर आता हूं । रानी ने कहा- ठीक है, दीपक अपने ससुर जी से मिलने चला गया, लेकिन रानी बच्चे के चक्कर में अपने पिता से मिलने नहीं गई। रानी के पिता ने रानी के हाल-चाल पूछे और कहा- कि वह कहां है। दीपक ने बताया- वह भी तो यहीं अस्पताल में है, डॉक्टर साहब बोले कहां? अस्पताल में। दीपक ने कहा- श्रेया के कमरे में। उसकी बेटी को खिला रही है। दीपक ..ससुर जी को काफी परेशान लग रहा था,.....……उसकी परेशानी का सबब एक बच्चा ही है, दीपक ने कहा कि वजह आप समझ रहे हैं।लेकिन फिर भी उन्होंने दीपक से कहा ......क्या हुआ बताओ.......क्यों तुम परेशान लग रहे हो।
दीपक के साथ उसके ससुर जी भी अपनी बेटी से मिलने।श्रेया के कमरे में आ गये।अपनी बेटी को श्रेया की बेटी के साथ खेलते हुए, देख डॉक्टर साहब के मन में बड़ा संतोष हुआ। परंतु अपनी बेटी के मां बनने के लिए डॉक्टर साहब भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। बहुत इलाज किया, लेकिन रानी मां न बन सकी। श्रेया के बच्चे को खिलाते हुए देख डॉक्टर साहब खुश भी हुए और गुस्सा भी आया। गुस्सा इसलिए कि इलाज के बाद से वह मां ने बन सकी। और खुशी इसलिए कि वह बच्चे के साथ खेल रही थी । डॉक्टर साहब सोच रहे थे- कि अगर रानी का अपना बच्चा होता तो अपने बच्चे के साथ खेल रही होती और उसे इसलिए किसी बात की चिंता नहीं करनी पड़ती थी।
डॉक्टर साहब वह दृश्य देखकर अपने कमरे में लौट आए।और उन्हें आज अपने डॉक्टर होने पर बहुत अफसोस हुआ। उन्हें अफसोस हुआ, कि वह आज अपनी बेटी को ही बच्चे के लिए तरसता हुआ देख रहे हैं। वह अपनी बेटी के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो उनके डॉक्टर होने का क्या फायदा लोग तो डॉक्टर के पास ही अपनी समस्या लेकर आते हैं परंतु मैं खुद अपनी बेटी के लिए कुछ नहीं कर पाया। यथा संभव इलाज किया गया परंतु सफलता हाथ नहीं लगी। उसके लिए क्या करना चाहिए। डॉक्टर साहब गहरी सोच में डूबे हुए थे। और सोच रहे थे, कि किसी और डॉक्टर से कंसल्ट किया जाए। और रानी को दिखाया जाए, हो सकता है किसी और के हाथ का यश लगे।और रानी और दीपक मां-बाप बन जाए। उसके इलाज के बाद से रानी मां बनने लायक हो जाए। तो मेरा भी उद्धार हो जाए। है न।
मेरी बेटी को रोते हुए देख। मेरी आत्मा को बहुत कष्ट होता है कि मेरी बेटी भी एक बच्ची को तरस रही है मैं क्या करूं मैं बहुत परेशान हूं। वह सोच ही रहे थे। कि रानी उनके कमरे में आई और उसने आवाज लगाई। पापा...... डॉक्टर साहब ने रानी को जवाब दिया।
रानी डॉक्टर साहब को श्रेया की बेटी के साथ खेलने की हर बात पूरी बात बताना चाहती थी, वो अंदर से बहुत खुश लग रही थी। उसकी खुशी देखकर डॉक्टर साहब भी बहुत खुश हुए और चिंतित भी। परंतु चिंतित होते हुए भी उन्होंने रानी की पूरी बात सुनी। और उसकी खुशी में खुश भी हुए।
डॉक्टर साहब ने रानी और दीपक को घर जाने के लिए कहा - और वह दोनों अस्पताल से घर चले गए घर जाकर उन्होंने खाना पीना खाया, और सोने की तैयारी करके सोने चले गए।उधर डॉक्टर साहब भी अस्पताल से घर गए, घर जाकर रानी की मां को सारी बात बताई ।और बात करते-करते डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी दोनों ही की आंखें भर आई। और दोनों ही अपनी बेटी की इस समस्या से जूझ रहे थे, और रानी के इलाज का सोचते हुए बेड पर जाकर सोने के लिए कोशिश करने लगे। पर नींद कहां........। उधर रानी और दीपक को भी नींद नहीं आ रही थी।.... रानी ने कहा-
shweta soni
20-Sep-2022 12:51 AM
Nice
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Kaushalya Rani
19-Sep-2022 08:33 PM
Beautiful
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Barsha🖤👑
19-Sep-2022 06:17 PM
Beautiful
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